Sunday, November 21, 2010

आपके बिना जीने का अब, कारण ढूढा करते है

याद है जब हम यु ही मिला करते थे
मिनटों की बातें घंटो में कहा करते थे
दूर तक देखना , उन पर बेसिर-पैर की बातें करना
भविष्य में कुछ अलग करने की
चाहत किया करते थे
आप को देखकर बार बार कविताओ
की चंद लाइन सुनाया करते थे
दुसरे की चोरी की हुई कविताओ की लाइन पर
आप की तारीफ पाया करते थे
आप की एक मुस्कराहट के लिए
हर अच्छी बात किया करते थे
रातो में याद जब आते थे , उसे ख़त के
द्वारा सुनाया करते थे
न जाने कहा चले गए ,
सपने भी आप बुलाया करते है
आज वो बातें याद कर खुद भुलाया करते है
अब ये ज़िन्दगी बोझ सी लगने लगी है
अब जीने की चाहत खत्म सी होने लगी है
आप के बिना एक पल भी बिताना
कठिन से लगते है
आपके बिना जीने का अब
कारण ढूढा करते है

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