Wednesday, September 14, 2011

कही राह पर रुक, मेरा इंतज़ार न कर



मैं कोई आस नहीं 
तेरा विश्वास नहीं 
ज़िन्दगी के साथ बढ़ते 
उस भीड़ के साथ नहीं 
कही राह पर रुक 
मेरा इंतज़ार न कर 
मैं तो एक ख्वाब हु 
इस ख्वाब से तू प्यार न कर /

वो दिन अब है ढल चुके 
कल बने रिश्ते छूट चुके 
समझौता के हर पहलु 
बीते दिन के बात हुए 
कुछ अनिच्छा , 
इच्छा का आभार न कर 
मैं तो एक ख्वाव हु 
इस ख्वाब से तू प्यार न कर //