Sunday, November 21, 2010

"शायद" इसे भी तुम्हारे लिए धड़कना अच्छा लगता है

मुझे अब नींद की तलाश नहीं,
अब रातों को जागना अच्छा लगता है
मुझे नहीं मालूम की तुम मेरी किस्मत में हो या नहीं,
लेकिन खुदा से तुम्हे मांगना अच्छा लगता है.
जाने मुझे हक है या नहीं ,
पर तुम्हारी परवाह करना अच्छा लगता है.
तुमसे प्यार करना सही है या नहीं,
पर इस अहसाश के साथ जीना अच लगता है .
कभी हम तुम साथ होंगे या नहीं,
पर ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है.
तुम मेरे हो या नहीं,
पर तुम्हे अपना कहना अच्छा लगता है .
दिल को बहलाया बहुत, पर मानता ही नहीं.
"शायद" इससे भी तुम्हारे लिए धड़कना अच्छा लगता है

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