Sunday, November 21, 2010

वो मुलाकात अब यादों में आने लगी है !!!!!!!!!!!!!!!

वो मुलाकात अब यादों में आने लगी है
वो मिले,
थे वो साथ चले
कुछ बातों में दिया साथ
कुछ बातों में था अहसास
कुछ आगे बढ़ने की चाहत
कुछ दिलों में समेटने की आहट
वो बातें अब धुंध में समाने सी लगी है
उनकी कही बातें अब दिलो को
झुटलाने सी लगी है
वो मुलाकात .................................
कभी कभी वो दृश्य सोचता रहता हु
उन् बातों में सच ढूढ़ता रहता हु
"शायद" वो शाम अब कुछ अजीब सी लगने लगी है
वो मुलाकात अब यादों में आने लगी है.......

आज अचानक खुद की मुझे याद आने लगी

आज अचानक खुद की मुझे याद आने लगी
ढूढता ही रह खुद को जब घडी आगे बढ़ने लगी
लगता है कही गुम सा हो गया हु
सबको पहचाहने के साये में,
अपनी पहचान भूल गया हु.
सबको करीब लाते-लाते ,
खुद ही खुद से दूर चला गया हु
ना जाने कब "हम" से "मैं" हो गया हु
इन् बदलते चेहरों से भ्रमित हो गया हु
रहते हुए रिश्ते भी भुलाने सा लगा हु
उन् पुराने दिनों को अब कागज़ पर सजोने लगा हु
"शायद" वो कागज़ पर चलती लेखनी प्यार सा दिखने लगी है
उसी के सहारे मेरी घडी समय आगे बढाने लगी है .
आज अचानक खुद की मुझे याद आने लगी

"शायद" इसे भी तुम्हारे लिए धड़कना अच्छा लगता है

मुझे अब नींद की तलाश नहीं,
अब रातों को जागना अच्छा लगता है
मुझे नहीं मालूम की तुम मेरी किस्मत में हो या नहीं,
लेकिन खुदा से तुम्हे मांगना अच्छा लगता है.
जाने मुझे हक है या नहीं ,
पर तुम्हारी परवाह करना अच्छा लगता है.
तुमसे प्यार करना सही है या नहीं,
पर इस अहसाश के साथ जीना अच लगता है .
कभी हम तुम साथ होंगे या नहीं,
पर ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है.
तुम मेरे हो या नहीं,
पर तुम्हे अपना कहना अच्छा लगता है .
दिल को बहलाया बहुत, पर मानता ही नहीं.
"शायद" इससे भी तुम्हारे लिए धड़कना अच्छा लगता है

आने वाले कुछ लम्हों में ही सही, वो पुरानी बात दोहराएगी !!!!!!!!!!

न जाने आज उस अनजाने से चेहरे का
ऐतबार न कर सका
उसके उड़ते हुए ख्वाब पर
विश्वास न कर सका
उसकी ख़ामोशी कुछ कहने
को थी आतुर
मैं समझने का प्रयाश न
कर सका
मिलने की हुई, चेष्टा पर एक आती हुए
आवाज़ ना सुन सका
बीते हुए पलो के कुछ अहसासों से
मिलान ना कर सका
उसकी चेहरे के आलोक को
अपने में समां ना सका
उसकी वाणी को अपने
तक पंहुचा भी ना सका
"शायद" कभी तो उसकी आवाज़ एक
राह दिखाएगी
आने वाले कुछ लम्हों में ही सही
वो पुरानी बात दोहराएगी !!!!!!!!!!

आपके बिना जीने का अब, कारण ढूढा करते है

याद है जब हम यु ही मिला करते थे
मिनटों की बातें घंटो में कहा करते थे
दूर तक देखना , उन पर बेसिर-पैर की बातें करना
भविष्य में कुछ अलग करने की
चाहत किया करते थे
आप को देखकर बार बार कविताओ
की चंद लाइन सुनाया करते थे
दुसरे की चोरी की हुई कविताओ की लाइन पर
आप की तारीफ पाया करते थे
आप की एक मुस्कराहट के लिए
हर अच्छी बात किया करते थे
रातो में याद जब आते थे , उसे ख़त के
द्वारा सुनाया करते थे
न जाने कहा चले गए ,
सपने भी आप बुलाया करते है
आज वो बातें याद कर खुद भुलाया करते है
अब ये ज़िन्दगी बोझ सी लगने लगी है
अब जीने की चाहत खत्म सी होने लगी है
आप के बिना एक पल भी बिताना
कठिन से लगते है
आपके बिना जीने का अब
कारण ढूढा करते है

आंखे बंद थी , और मैं खुद से ही न मिल पाया

आज खुद को एक स्वप्न में गुम हुआ पाया
आंखे बंद थी , और मैं खुद से ही न मिल पाया
सामने नदी थी , डूबने का मन था बनाया
जैसे ही छलांग लगाने की सोचा
दूर पानी में रेत-रेत ही पाया .
पुनह किसी तरह मन को कुछ समय समझाया
खुद को जमीन में दफ़न करने का मन बनाया
जैसे ही जमीन को खोदा
वहा भी ढाई गज जमीन के नीचे पत्थर ही पाया
अचानक में मेरा पैर किसी ठंडी फर्श से टकराया
नींद खुली तो मैं खुद के चारपाई से नीचे पाया
आज खुद को एक स्वप्न में गुम हुआ पाया
आंखे बंद थी , और मैं खुद से ही न मिल पाया !!!!

ना जाने फिर कब वो बात होगी

आज अचानक कुछ बात हुई
उससे कहने की शुरुआत हुई
रहा ना गया दिल से
बोलने चल ही दिया
अपने जख्मो को उससे छिपाया भी ना गया
और उसे कुछ बताया भी ना गया
डुढता रहा शब्दो के सृन्खालाओं को
जो प्रगट करना था
आवाज़ देता रहा मन को
जिसे भावनाओ को भरना था
लेकिन कोई साथ ना दिया
आज दिल, मन, आवाज़ अजनबी से लग रहे थे
डुढते-डुढते उन् आवाजो को आंखे नम हो रही थी
मिलने की चाहत अब बेरूख हो रही थी
आज फिर वही रही गया
अपने दिल को बोलता हुआ
अपनी आवाज़ डुढता हुआ
ना जाने फिर कब वो बात होगी
और पुनह कहने की शुरुआत होगी

पुरानी जीत अब हार गयी

आज अचानक कुछ आहट सी हुई
मुझे लगा , शायद वो आ गए
जिंदगी के हर पहलु को वो भुला गए
वो बीतें हुए पल के दर्द में दबा गए
जीना था जिन्हें सालो साल
वो इस उम्र में ही हार गए
गम के साये साथ लाये थे
पुरानी बातें वो भूल न पाए थे
सोच था कुछ कर जाने की
कुछ करने की चाहत में
अपनों के भी पास ना आ पाए थे
ज़िन्दगी ने बहुत दिया इस उम्र में
बस प्यार ही खो आये थे
अब सब कुछ लगता है बेगाना
सभी को है अपनाना
जीवन के हर मोड़ पर
साथ चलने का है अब ठाना
कुछ की चाहत बहुत कुछ हो गयी
ज़िन्दगी की चमक फिर से उभर गयी
सपने सजोने के दिन फिर आयेंगे
"शायद" आज हम पुराने जीत को भूल जायेंगे

तेरा अहसास

जब तू मेरे साथ खड़ा था,
तो तेरा अहसास नहीं था
आज तू मेरे पास नहीं
तो तेरी याद आती है
अभी तुझे सोचा तो याद न आयी
जब तू चला गया तो ये आंख भर आयी
रह रह कर वो बातें याद आती है
तेरी कही हर बात जुबा पर चली आती है
ना जाने क्या हुआ है मुझको आजकल
वो तेरी हर लगन खोजता हु
जिसमे बसी वो सांसे
वो धड़कन खोजता हु