Saturday, August 6, 2011

शायद ये तुम्हे "ना' याद हो !!!!!!!!!!!!!!!!



शायद तुम्हे याद हो


किसी राह पर हम यु ही मिल गए

आप की पहचान का

अहसास न था

आप पर हमको विश्वास न था

शायद तुम्हे याद हो

दिन रह रह कर घटते से गए

हम यु ही रोज मिलते ही गए

शायद तुम्हे याद हो

साथ दोपहर के भोजन पर

का विवरण करना

लोंगो के बातों पर अपना

निष्कर्ष बताना

शायद तुम्हे याद हो

किसी की बात को

किसी से जोड़ना

रह रह कर कितने ही

रिश्तों को तोडना

हर पहलु को

अपने ही ओर मोड़ना

शायद तुम्हे याद हो

दिन बढ़ने सा लगा

यात्रा अंतिम की ओर बढ़ने सा लगा

परिवर्तन की बातों पर

चर्चा होने सा लगा

शायद तुम्हे याद हो

पुनः उसी राह पर हम पहुच गए

जहा से शुरुआत हुई

पुनः आज अविश्वास और विश्वास की

बात सोचने लगा

आज छूट जाने के बाद प्रश्न का उत्तर

ढूढ़ने सा लगा

शायद ये तुम्हे "ना" याद हो



                    

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