आज अचानक गोधुली बेला से मुलाकात हो गयी
उसकी बातें अब कुछ खास न रह गयी
वो परेशान सी लगी , और बार बार कहने ये लगी
अब कोई अकेले में राग नहीं बजता
वो जानवरों का रेला वापस नही लौटता
नुकड़ पर लोगो का मेला नहीं लगता
कोई नन्हा बालक मेरे गोंद में नहीं खेलता
मेरे साये का मेरे से भरोसा न उठ जाये
इन जगमगाती रौशनी में
न जाने कभी मेरा अस्तित्व न ग़ुम जाये
यही सोच कर चुप सी रहने लगी
उसकी बातें अब कुछ खास न रही
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