Thursday, September 12, 2013

हम सब यु मिल बैठेगे एक साथ, इसका विश्वास न था

समझोते की आग कुछ यु सुलग उठेगी
कर्णपल्लव  को ये आस न था
हम सब यु मिल बैठेगे एक साथ
इसका विश्वास न था ,

जमीन से जुड़ने का कुछ तो
अर्श  मिल गया
हम कल रहे या ना रहे
इसका अर्थ मिल गया /
नाम कुछ भी हो उसका
एक ठिकाना सा मिल गया
न चाहते हुए भी
एक याराना मिला गया

कही कुछ आहट  सी हुई
कही कुछ स्थिति विकट सी हुई
कुछ का अपनापन था
कुछ का समझोता भर था
कुछ अपने दुःख से थे व्यथित
कुछ अपने साथ से थे ग्रसित
लेकिन एक चाहत साथ थी आयी
ये रात बार बार क्यों ना आयी
"शायद " इसका किसी को आभास  न था ,
हम सब यु मिल बैठेंगे इसका
विश्वास न था /// 

Tuesday, September 10, 2013

रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी, अहसास न था

रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी 
अहसास न था ,
मंजिले तक पहुचने में ऐसी राह जो चुनी 
उसका आभास न था / 

कितने दिग्भ्रमित पड़ाव से मिले 
कितने अजनबियों के सुझाव थे मिले 
कितने आप - बीती सी कर्णिकाओ में बजे 
कितने ही सुनहरे भविष्य के सृंगार थे सजे 

आज समय के इस चक्र के घूमने का 
विश्वास न था ,
"शायद " उपरोक्त उद्धरण के समझोते के कारण 
उस पर पश्चाताप न था 
रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी 
अहसास न था /