मैं कोई आस नहीं
तेरा विश्वास नहीं
ज़िन्दगी के साथ बढ़ते
उस भीड़ के साथ नहीं
कही राह पर रुक
मेरा इंतज़ार न कर
मैं तो एक ख्वाब हु
इस ख्वाब से तू प्यार न कर /
वो दिन अब है ढल चुके
कल बने रिश्ते छूट चुके
समझौता के हर पहलु
बीते दिन के बात हुए
कुछ अनिच्छा ,
इच्छा का आभार न कर
मैं तो एक ख्वाव हु
इस ख्वाब से तू प्यार न कर //
कल 28/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
bohot khub likha hai
ReplyDeleteकुछ अनिच्छा ,
ReplyDeleteइच्छा का आभार न कर
मैं तो एक ख्वाव हु
इस ख्वाब से तू प्यार न कर //
बहुत खूब
बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteबढ़िया रचना...
ReplyDeleteशुभकामनाएं....