Tuesday, January 10, 2012

कुछ पत्ते बिखरने से लगे है












कुछ देखे हुए सपने अब टूटने से लगे है 
डाली के कुछ पत्ते बिखरने से लगे है 
साथ देते वो मगर 
हवाओ को वो 
पहचान न सके 
इन् हवाओ के रुख का आभास 
कर न सके 
बाहर के हरियाली को 
अशिआना समझने  लगे है 
कुछ देखे हुए सपने अब टूटने से लगे है 
डाली के कुछ पत्ते बिखरने से लगे है 

आवाज़ की पहचान 
भूल से गए 
समझौतों को वो ना दूर 
तक ले गए 
धीरे धीरे उनकी चाहत अब 
बढ़ने से लगे है 
कुछ देखे हुए सपने अब टूटने से लगे है 
डाली के कुछ पत्ते बिखरने से लगे है 

उन्हें नहीं पता टूटने का दर्द
अब तक समझ ना पाए 
बिखरने का दर्द
उनको अब टूटना ही होगा 
हरियाली में अशिआना 
ढूढना ही होगा 
धीरे धीरे ही सही 
"शायद " वो रिश्ते समझने लगे है 
कुछ देखे हुए सपने अब टूटने से लगे है 
डाली के कुछ पत्ते बिखरने से लगे है