शायद
कुछ अनछुहे पहलु
Thursday, September 2, 2010
आज न जाने क्यों ख्याल आता रहा बार बार
क्यों ज़िन्दगी को पाने में सपने हुए तार तार
वो मोड़
वो चौखट
वो रास्ते
वो मीठी आवाज़
वो पुकारती राहे
चेहरे को देखता आइना
सपने सजोये बेसुध आँखें
खोजती रही वो सपना साकार ...
आज न जाने _ _ _ __
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