शायद
कुछ अनछुहे पहलु
Thursday, September 2, 2010
आज गोधुलि बेला मे कुछ अनजान मुलाकात हुई
अपने दुख़, उसके दुख़ से आसान लगी
कुछ सोचते,
कुछ बोलते,
कभी चुप रहकर...
सब कुछ कह जाते हैं
आख़ों में कुछ बातें छुप जाने से
पलकें भी वीरान लगी
अपने दुख़, उसके दुख़ से आसान लगी
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