शायद
कुछ अनछुहे पहलु
Thursday, September 2, 2010
ना जाने ये ज़िन्दगी कभी अनजान सी क्यों लगती है
ना जाने क्यों ये जहाँ विराना लगता है
कभी किसी को ढूढने की चाहत
कभी किसी को पाने की चाहत
कभी कही दूर जाने की चाहत...
कभी खुद को भूल जाने की चाहत
अब रोज की बात लगती है
ना जाने ये ज़िन्दगी _ _ __ __
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