रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी
अहसास न था ,
मंजिले तक पहुचने में ऐसी राह जो चुनी
उसका आभास न था /
कितने दिग्भ्रमित पड़ाव से मिले
कितने अजनबियों के सुझाव थे मिले
कितने आप - बीती सी कर्णिकाओ में बजे
कितने ही सुनहरे भविष्य के सृंगार थे सजे
आज समय के इस चक्र के घूमने का
विश्वास न था ,
"शायद " उपरोक्त उद्धरण के समझोते के कारण
उस पर पश्चाताप न था
रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी
अहसास न था /
अहसास न था ,
मंजिले तक पहुचने में ऐसी राह जो चुनी
उसका आभास न था /
कितने दिग्भ्रमित पड़ाव से मिले
कितने अजनबियों के सुझाव थे मिले
कितने आप - बीती सी कर्णिकाओ में बजे
कितने ही सुनहरे भविष्य के सृंगार थे सजे
आज समय के इस चक्र के घूमने का
विश्वास न था ,
"शायद " उपरोक्त उद्धरण के समझोते के कारण
उस पर पश्चाताप न था
रिश्तो की डोर कुछ इस तरह टूटने सी लगेगी
अहसास न था /
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