Friday, August 30, 2013

मैं खुद को बड़ी मुस्किल से मिल पाया था, लेकिन परछाई ने अनजान कर दिया

   

                                                                 
उसकी एक याद ने मुझे हैरान कर दिया  
ज़िन्दगी को  कुछ यु आसान  कर दिया ,  
मैं खुद को बड़ी मुस्किल से मिल पाया था
लेकिन परछाई ने अनजान कर दिया /

उसकी एक झलक जब जब हृदय में समाती है
पल पल जब वो आखों से ओझल हो जाती है
स्वप्नों की मरीचिका पलकों में विचरण सी कर जाती है
भोर की किरणों में जब वो गुनगुनाती है
सूरज की अंगड़ाई में जब वो गीत सुनाती है
गोधुली के बेला जब उससे अंचल में ले जाती है

टूटते हुए स्वप्न ने कुछ ऐसा परिवर्तन सा कर दिया ,
हम उससे अलग हुए और वो ह्रदय को बेआस कर दिया /
उसकी एक याद ने मुझे हैरान कर दिया  
ज़िन्दगी को  कुछ यु आसान  कर दिया ,  
मैं खुद को बड़ी मुस्किल से मिल पाया था/
लेकिन परछाई ने अनजान कर दिया /

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