अब लौटना मुश्किल है
अपनी कही बात से मुह मोड़ता रहा
उसे समझाने में खुद को तोड़ता रहा
उसके जाने की खबर सी फ़ैल गयी
न जाने कब की बात छूट गयी
मन कहता है अब लौटना मुश्किल है
दूर कही जब दृश्यता था
वहा की राह देखता था
हर राह में कुछ हमराही मिले
साथ चले और बिछड़ गए
आगे चले हमराही
वो पीछे ही पिछड़ गए
उससे उनकी बात कहनी रह गयी
उनसे मिलने को वो चाह रह गयी
वो कहता है, अब लौटना मुश्किल है
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